सामान्य रूप से पृथ्वी, ग्रहों, उपग्रहों, सौरमण्डल, तारों एवं आकाशगंगाओं के सम्मिलित पुँज को ब्रह्माण्ड कहते हैं।
ब्रह्माण्ड के संबंध में क्लाडियस टॉलमी ने सर्वप्रथम बताया कि पृथ्वी ब्रह्माण्ड के केंद्र में है और सूर्य तथा अन्य ग्रह इसकी परिक्रमा करते हैं।
ब्रह्माण्ड में लगभग 100 अरब आकाशगंगाएँ हैं।
ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति से संबंधित सिद्धांत
1. बिगबैंग सिद्धांत
- इस सिद्धांत के अनुसार, ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति एक बड़े विस्फोट से हुई है।
- यह समय लगभग 15 अरब वर्ष पूर्व का था।
- इसका आयतन अति निम्न तथा तापमान उच्च था।
- इसका प्रमाण आकाशगंगाओं के बीच बढ़ती दूरियों से देखा जा सकता है।
खगोलीय पिण्ड
आकाश में दिखाई पड़ने वाले अनेक पिण्ड, जैसे:- तारे, आकाशगंगा, ग्रह, उपग्रह, क्षुद्रग्रह, धूमकेतु इत्यादि ‘खगोलीय पिण्ड’ कहलाते हैं।
2. हब्बल का नियम
- वर्ष 1929 में एडविन हब्बल ने डॉप्लर सिद्धांत के आधार पर यह प्रमाण दिया कि ब्रह्माण्ड का विस्तार हो रहा है।
- हब्बल महोदय ने इसके लिए रेड शिफ्ट परिघटना को प्रतिपादित किया।
- अंतरिक्ष में रेड शिफ्ट परिघटनाएँ ब्रह्माण्ड के निरंतर विस्तरण के साक्ष्य हैं।
3. हिग्स बोसॉन
- सन् 1960 में वैज्ञानिक पीटर हिग्स ने इस सिद्धांत को प्रतिपादित किया था। जिसके अनुसार इस ब्रह्माण्ड में हर खाली जगह में एक फील्ड बना हुआ है जिसे हिग्स फील्ड कहा जाता है। इस फील्ड में छोटे-छोटे कण मौजूद होते हैं जिन्हें हिग्स बोसॉन या गॉड पार्टिकल कहा जाता है।
- ब्रिटिश वैज्ञानिक हिग्स ने 1964 में गॉड पार्टिकल अवधारणा को पेश किया था जो भारतीय वैज्ञानिक सत्येन्द्र नाथ बोस बोसॉन थ्योरी पर आधारित थी।
- ब्रह्माण्ड के इस रहस्य को जानने के लिए Cern ने जुलाई 2012 में हिग्स बोसॉन से मिलता-जुलता सब एटॉमिक पार्टिकल खोज करने में सफलता हासिल की है।
आकाशगंगा
- आकाशगंगा तारों का एक विशाल पुँज है।
- प्रत्येक आकाशगंगा में अरबों तारे हैं।
- आकाशगंगा को ‘प्रायद्वीपीय ब्रह्माण्ड’ भी कहा जाता है।
- मिल्की वे – यह हमारी पृथ्वी की अपनी एक मंदाकिनी है, जिसे सबसे पहले गैलीलियो ने देखा था।
- आकाशगंगा की सबसे नजदीकी मंदाकिनी को देवयानी (Endromeda) नाम दिया गया है।
- आकृति के आधार पर तीन प्रकार की आकाशगंगाएँ होती हैं।
- सर्पिल (Spiral)– सर्पिल आकाशगंगाओं के केंद्र में तारों का अधिक जमाव पाया जाता है। ये तश्तरी के आकार की आकाशगंगाएँ होती हैं। जैसे:- एण्ड्रोमेडा
- दीर्घवृत्तीय (Elliptical)
- ब्रह्माण्ड की लगभग दो तिहाई आकाशगंगा दीर्घवृत्तीय हैं।
- ये सर्पिल आकाशगंगा से आकार में छोटी होती है।
- इसका आकार अण्डाकार होता है।
- इस प्रकार आकाशगंगा में नवीन तारों का निर्माण नहीं होता है।
- अनियमित (Irregular)
ये आकाशगंगाएँ मुख्यतः नवीन तारों द्वारा निर्मित होती हैं।
- सर्पिल (Spiral)– सर्पिल आकाशगंगाओं के केंद्र में तारों का अधिक जमाव पाया जाता है। ये तश्तरी के आकार की आकाशगंगाएँ होती हैं। जैसे:- एण्ड्रोमेडा
तारामण्डल (Constellation)
आकाशगंगा में कुछ सुंदर एवं व्यवस्थित आकृतियों के रूप में पाए जाने वाले तारों के समूह को तारामण्डल कहते हैं। जैसे: मंदाकिनी आकाशगंगा में पाए जाने वाला सप्तऋषि मण्डल, औरिऑन, हाइड्रा, ध्रुवतारा (polestar), हरकुलीज इत्यादि।
तारे (Stars)
- आकाशगंगा में गैस एवं धूल के बादल होते हैं।
- संभवतः धूलकण एवं गैसों से तारों का निर्माण होता है।
- ये तारे निरंतर ऊर्जा मुक्त करते रहते हैं।
- सूर्य भी एक तारा है।
क्षुद्रग्रह (Asteroids)
- मंगल एवं बृहस्पति ग्रह के मध्य पाए जाने वाले छोटे आकाशीय पिण्ड हैं।
- इनका निर्माण भारी धातुओं से हुआ है।
- ये क्षुद्रग्रह जब पृथ्वी से टकराते हैं, तो पृथ्वी की सतह पर विशाल गर्त बन जाता है। महाराष्ट्र की लोनार झील (Lunar Lake) इसका उदाहरण है।
- अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने Dart (Double Asteroid Re-direction Test) मिशन 24 नवंबर, 2021 को लॉन्च किया है। इसका उद्देश्य क्षुद्रग्रह विक्षेपण तकनीक का परीक्षण करना है ताकि भविष्य में इनको पृथ्वी से टकराने से रोका जा सके।
- नासा का ओसीरिक्स-रेक्स (OSIRIS-REx) 2016 में बेन्नू क्षुद्रग्रह के वैज्ञानिक अध्ययन के लिए भेजा गया था।
धूमकेतु (Comets)
- ये हिमशीतित गैसों से निर्मित ऐसे चट्टानी एवं धातु पदार्थ हैं, जो सूर्य से मिलने वाली ऊष्मा के कारण पिघलकर पूँछ बनाते हुए सूर्य के चारों ओर चलते हैं।
- यह प्रत्येक 76 वर्ष बाद दिखाई देता है।
- इसका पूँछ सदैव सूर्य के विपरीत दिशा में होता है।
उल्का (Meteors)
उल्का क्षुद्रग्रह या अन्य आकाशीय पिण्डों के टुकड़े होते हैं जो पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण क्षेत्र में प्रवेश करते हैं तो वायुमण्डल से घर्षण के कारण जलकर नष्ट हो जाते हैं तथा टूटते हुए तारे जैसे लगते हैं।
कृष्णछिद्र (Black Hole)
किसी अघूर्णनशील श्वेत वामन तारे का सीमाकारी द्रव्यमान (1.44) ही ‘चन्द्रशेखर सीमा’ कहलाता है। जब इसका द्रव्यमान सूर्य से बहुत अधिक होता है, तो इसमें विस्फोट हो जाता है तथा यह न्यूट्रॉन तारा बन जाता है। इसका निर्माण न्यूट्रॉनों से होता है, इसलिए इसका पदार्थ अत्यधिक संघनित होता है। ऐसे अत्यधिक घनत्व वाले पदार्थ से युक्त पिण्ड को ही ‘कृष्णछिद्र’ कहते हैं।
सौरमण्डल (Solar System)
- सूर्य की परिक्रमा करने वाले विभिन्न ग्रह, क्षुद्रग्रह, धूमकेतु, उल्काएँ, उपग्रह तथा आकाशीय पिण्डों के परिवार को सौरमण्डल कहते हैं।
- सौरमण्डल में सूर्य के अतिरिक्त उसके आठ ग्रह हैं तथा इसका आकार तस्तरीनुमा है एवं इसके मध्य में सूर्य स्थित है।
- संपूर्ण सौरमण्डल का व्यास लगभग 733 करोड़ मील है।
- पृथ्वी, सूर्य से लगभग 2.496×108 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
- आकार एवं संरचना की दृष्टि से सौरमण्डल के ग्रहों को दो भागों में विभक्त करता है। आंतरिक ग्रह एवं बाह्य ग्रह।
- आंतरिक ग्रह के अंतर्गत बुध, शुक्र, पृथ्वी एवं मंगल हैं। जबकि बाह्य ग्रह के अंतर्गत बृहस्पति, शनि, अरुण एवं वरुण हैं।
- आंतरिक ग्रहों का घनत्व अधिक तथा बाह्य ग्रहों का घनत्व कम होता है।
सूर्य (Sun)
- आयु – लगभग 5 बिलियन वर्ष है।
- यह हाइड्रोजन एवं हीलियम गैस से बना है।
- ऊर्जा की उत्पत्ति नाभिकीय संलयन द्वारा होती है।
- केंद्र का तापमान – लगभग 15 मिलियन डिग्री सेल्सियस ।
- सूर्य की बाह्य या दीप्तिमान सतह को फोटोस्फीयर कहा जाता है। जिसका तापमान 6000°C है। इससे सौर ज्वाला उत्पन्न होती है।
- सूर्य एक गैसीय गोला है जिसमें 71% हाइड्रोजन, 26.5% हीलियम और 2.5% अन्य तत्व शामिल हैं।
उपसौर (Perihelion)
- यह पृथ्वी और सूर्य के बीच की सबसे कम दूरी को दर्शाता है। यह स्थिति 3 जनवरी को होती है।
अपसौर (Aphelion)
- यह पृथ्वी और सूर्य के बीच की सबसे अधिक दूरी को दर्शाता है। यह स्थिति 4 जुलाई को होती है।
बुध (Mercury)
- यह सूर्य के सबसे नजदीक स्थित तथा सौरमण्डल का सबसे छोटा ग्रह है।
- यह सूर्य की परिक्रमा सबसे कम समय में पूरी करता है।
- तापांतर अन्य ग्रहों की अपेक्षा सर्वाधिक 600° C (रात में तापमान – 173°C तथा दिन में 427°C) है।
- इसका द्रव्यमान पृथ्वी के द्रव्यमान का 1/8 है।
- यह प्रातः एवं सायं के तारे के रूप में वर्ष में तीन बार दिखाई देता है।
- इसका कोई भी उपग्रह नहीं है।
शुक्र (Venus)
- सूर्य से दूसरा निकटतम ग्रह है।
- पृथ्वी की जुड़वाँ बहन कहा जाता है।
- यह सबसे चमकीला ग्रह है।
- इसके वायुमण्डल में 97% CO2 गैस पाई जाती है।
- इसको भोर या संध्या का तारा कहते हैं।
- इसका कोई भी प्राकृतिक उपग्रह नहीं है।
- इसकी परिक्रमण गति विपरीत दिशा (Clockwise) होती है।
पृथ्वी (Earth)
- पृथ्वी आकार में पाँचवाँ सबसे बड़ा ग्रह है।
- यह अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है।
- पृथ्वी का अक्ष उसके कक्षा तल पर बने लम्ब से 23½° झुका हुआ है।
- इसका एकमात्र उपग्रह चन्द्रमा है।
- पृथ्वी का रंग यहाँ उपस्थित पानी के कारण आकाश से नीला दिखाई देता है।
- सूर्य से दूरी के अनुसार तीसरा ग्रह।
- पृथ्वी 23 घंटे 56 मिनट और 4 सेकेण्ड में एक पूरा चक्कर लगाती है।
- पृथ्वी की गति दो प्रकार की होती है- घूर्णन एवं परिक्रमण।
- पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूमना घूर्णन कहलाता है। जबकि सूर्य के चारों ओर एक स्थित कक्ष में पृथ्वी की गति को परिक्रमण (Revolution) कहते हैं। इन दोनों की गतियों के कारण दिन-रात एवं ऋतु परिवर्तन होते हैं।
- पृथ्वी सौरमण्डल का एकमात्र ग्रह है जिस पर जीवन है।
- सूर्य के बाद पृथ्वी के सबसे निकट का तारा प्रोक्सिमा सेंचुरी है।
मंगल (Mars)
- इसको लाल ग्रह भी कहते हैं।
- इसके दो उपग्रह भी हैं- फोबोस और डीमोस
- इसकी सतह पर लाल रंग लौह-ऑक्साइड की उपस्थिति के कारण होता है।
- इस ग्रह का सबसे ऊँचा पर्वत निक्सओलम्पिया है।
- सौरमण्डल का सबसे बड़ा ज्वालामुखी ओलिपस मेसी भी मंगल ग्रह पर स्थित है।
- यह अपनी धुरी पर लगभग पृथ्वी के घूर्णन गति के बराबर होता है। लगभग
नोट: मंगल ग्रह पर भेजे गए प्रमुख मिशन-
- सोवियत संघ – मार्स-3
- अमेरिका – मार्स पाथ फाइंडर, स्प्रिट रोवर, ऑपरच्युनिटी रोवर, क्यूरोसिटी रोवर,
- भारत – मंगलयान (मार्स ऑर्बिट मिशन)
- यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी मार्स एक्सप्रेस मिशन
- यूएई – होप मिशन
बृहस्पति (Jupiter)
- सौरमण्डल का सबसे बड़ा ग्रह है।
- बृहस्पति मुख्यतः हाइड्रोजन एवं हीलियम का बना है।
- बृहस्पति के ज्ञात उपग्रहों में गैनिमिड, कैलिस्टो इयो एवं यूरोपा हैं।
- गैनिमिड सौरमण्डल का सबसे बड़ा उपग्रह है।
- उपग्रहों की संख्या – 79
- पलायन वेग सर्वाधिक है ।
शनि (Saturn)
- यह आकार में दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है।
- यह आकाश में पीले तारे के समान नजर आता है।
- सर्वाधिक उपग्रहों (82) वाला ग्रह
- प्रमुख उपग्रह – टाइटन
- इस पर नाइड्रोजन युक्त वायुमण्डल है।
- इसका घनत्व सभी ग्रहों एवं जल से कम है।
अरुण (Uranus)
- खोजकर्ता – विलियम हर्शेल (1781 ई.)
- आकार में तीसरा सबसे बड़ा।
- उपनाम – ‘लेटा हुआ ग्रह’
- वायुमंडल में हाइड्रोजन, हीलियम, मीथेन एवं अमोनिया गैस मिलती हैं।
- उपग्रहों की संख्या 27 (टाइटेनिया सबसे बड़ा उपग्रह है)।
वरुण (Neptune)
- खोजकर्ता – जोहान गाले (1846 ई.)।
- वायुमण्डल में उपस्थित गैस 80% हाइड्रोजन, 19% हीलियम तथा मीथेन।
- उपग्रह – ट्रिटॉन
- इसके वायुमण्डल का रंग हरा है (हरा ग्रह)
चन्द्रमा (Moon)
- यह पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह है।
- चन्द्रमा का अपना प्रकाश नहीं होता है किन्तु यह सूर्य के प्रकाश से चमकता है।
- चन्द्रमा पर वायुमण्डल नहीं है, क्योंकि इसकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति गैसों को बनाए रखने में असमर्थ है।
- चन्द्रमा का घूर्णन और परिक्रमण समय समान (27 दिन 7 घंटे 43 मिनट) होने के कारण चन्द्रमा का केवल आधा भाग (59%) ही सदैव पृथ्वी की ओर रहता है।
- चन्द्रमा की सतह पर पहली बार कदम रखने वाले व्यक्ति नील आर्मस्ट्रॉग और सर एडविन एल्ड्रिन (21 जुलाई 1969, अपोलो-11 मिशन)।
- चन्द्रमा का पिछला भाग या धूल के मैदान को शांति सागर (Peace Sea) कहते हैं।
- चन्द्रमा का उच्चतम पर्वत लीबनिट्ज पर्वत (10,668 मी.)
- सुपरमून – जब चन्द्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है।
- ब्लूमून – जब एक कैलेंडर में दो पूर्णिमा हों।
प्लूटो (Pluto)
- इसको ग्रह माना जाता था परन्तु International Astronomical Union ने अगस्त, 2006 में यह निर्णय लिया कि प्लूटो ग्रह की श्रेणी में होने के लिए सभी उत्तरदायी शर्तों को पूरी नहीं करता। अतः इसे बौने ग्रह की श्रेणी में सम्मिलित कर दिया गया।
चन्द्रग्रहण (Lunar Eclipse)
- जब पृथ्वी की छाया चन्द्रमा पर पड़ती है, तो उसे चन्द्रग्रहण कहते हैं।
- यह स्थिति तब बनती है जब सूर्य और चन्द्रमा के बीच पृथ्वी होती है तीनों एक रेखा में होते हैं।
- इसकी स्थिति पूर्णिमा को होती है किन्तु सभी पूर्णिमा को नहीं।
- इसके कारण पृथ्वी के सापेक्ष चन्द्रमा का 5° झुकाव होना है।
सूर्यग्रहण (Solar Eclipse)
- जब सूर्य व पृथ्वी के बीच चन्द्रमा आ जाता है तो सूर्यग्रहण होता है।
- यह घटना अमावस्या के दिन होती है।
- वर्ष में न्यूनतम 2 तथा अधिकतम 5 सूर्यग्रहण हो सकते हैं।
- संक्रांति – सूर्य के उत्तरायण और दक्षिणायन की सीमा को संक्रांति कहते हैं।
- कर्क संक्रांति 21 जून को सूर्य कर्क रेखा पर लम्बवत् होता है, इसे कर्क संक्रांति कहते हैं। इस दिन उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे बड़ा दिन होता है।
- मकर संक्रांति 22 दिसम्बर को सूर्य मकर रेखा में – लम्बवत होता है। इसे मकर संक्रांति कहते हैं। इस दिन दक्षिणी गोलार्द्ध में सबसे बड़ा दिन होता है।
- 23 सितम्बर (शरद विषुव) एवं 21 मार्च (बसंत विषुव) को सम्पूर्ण पृथ्वी पर दिन एवं रात बराबर होते हैं।
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