आजीवक सम्प्रदाय
- इस संप्रदाय के संस्थापक मोगलीपुतिस गोसाल थे।
- अशोक के पिता बिन्दुसार आजीवक संप्रदाय को मानते थे। अशोक ने आजीवक संप्रदाय के भक्तों को बहुत से गुफा (नागार्जुन या बराबर पहाड़ी के गुफा, सुदामा गुफा, दशरथ गुफा) दान में दिया था।
भागवत धर्म
- इसके संस्थापक/प्रवर्तक वासुदेव (कृष्ण) थे। इस धर्म में सबसे अधिक जोर भक्ति पर दिया गया। भागवत संप्रदाय वाले बलि, कर्मकाण्ड तथा पशु हत्या के विरोध में थे।
- जैन परम्परा के अनुसार वासुदेव कृष्ण जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर अरिष्टनेमि के समकालिन थे।
- इस धर्म में मुख्य रूप से कृष्ण की पूजा होती है। इस धर्म का सबसे लोकप्रिय स्वरूप ‘वैष्णव धर्म’ है।
- इनका निवास स्थान मथुरा है।
- इस धर्म का उदय मौर्योत्तर काल में हुआ था। इसकी प्रारंभिक जानकारी उपनिषद में मिलती है। परंतु मेगास्थनीज द्वारा रचित इंडिका नामक पुस्तक में बताया गया है। मौर्य काल में भागवत धर्म का प्रचलन था। उन्होंने इंडिका में लिखा है कि शूर सैन यानि मथुरा के लोग हेराक्लीज (कृष्ण) के उपासक थे।
- हेराक्लीज कृष्ण का यूनानी रूपान्तरण था।
- शुंग वंश के नौवें शासक भागभ्रद के दरबार में हेलियोडोटस आया था और वह भागवत धर्म अपना लिया। हेलियोडोटस भगवान विष्णु के सम्मान में मध्य प्रदेश के विदिशा (बेसनगर) में एक स्तम्भ लेख का निर्माण कराया जिसे गरुड्स्तम्भ लेख कहा गया।
- इस स्तम्भ लेख पर उसने “ओम नमो भगवते वासुदेवाय” लिखवाया।
- इस धर्म का वर्णन सबसे पहले छन्दोग्य उपनिषद में देवकीपुत्र एवं अंगीरस के शिष्य के रूप में कृष्ण का वर्णन मिलता है।
- भगवनत धर्म के सिद्धांत श्रीमदभागवत गीता में लिखा गया है। भगवत गीता के रचयिता वेदब्यास है।
- श्रीमदभागवत गीता में मोक्ष प्राप्ति के लिए जन्म, कर्म, तथा भक्ति को समान महत्व दिया गया है। भगवतगीता की मुख्य शिक्षा निष्काय कर्मयोग (कर्म करो फल की चींता मत करों) को बताया गया है।
- कृष्ण के समर्थक को भागवत कहा जाता है।
- पंचरात्र, व्यूहवाद एवं चतुर्ग्यूह सिद्धांत भागवत धर्म से संबद्ध थे।
शैव धर्म
- शिव को मानने वाले को शैव धर्म कहा जाता है और उसके उपासक को शैव कहा जाता है।
- इसमें भगवान शिव की उपासना की जाती थी। शिवलिंग तथा पहला साक्ष्य सिंधु सभ्यता में मिला है। किन्तु यह प्रमाणिक नहीं है।
- शिवलिंग को पहला प्रमाणिक साक्ष्य मत्स्य पुराण में मिलता है।
- शैव धर्म को मानने वाले दक्षिण भारत में अधिक है।
- शैव धर्म को मानने वाले लोकप्रिय वंश पल्लव वंश, चोल वंश, राष्ट्रकूट वंश तथा चालूक्य वंश थे।
- गुप्तकाल में शैव धर्म अपने चर्मोत्कर्ष पर थे।
- शैव धर्म में परमात्मा, जिवात्मा और बंधन के परिकल्पना की गई है।
- नयनारों ने पल्लव काल में शैव धर्म का प्रचार किया था।
- शैव सिद्धांत के चार पद- विद्या, योग, कर्म और चर्चा।
- शैव सिद्धांत के तीन पदार्थ – पशु, पाश और पति।
- शुद्ध संप्रदाय के संस्थापक श्रीकांताचार्य थे।
शैव धर्म का प्रमाण –
(1) प्रारंभिक प्रमाण- हड़प्पा सस्कृति
(2) ऋग्वेद में श्वि को रूद्र (शिव) कहा गया।
(3) अथर्ववेद में शिव को भव, शर्व, पशुपति एवं भूपति कहा गया।
(4) मत्स्य पुराण में लिंग पूजा का पहला स्पष्ट वर्णन है।
(5) तैतरेय अरण्यक में रूद्र की पत्नी पार्वती को (पद्मा, उमा, गौरी एवं भैरवी) कहा गया।
- मेगास्थनीज ने अपनी यात्रा वृत्तांत में डायनोसिस नाम से शिव का उल्लेख करते हुए भारत में शिव पूजा का विवरण दिया है।
वामन पुराण के अनुसार शैव धर्म को मुख्यतः 4 भागों में बांटते हैं-
(i) पशुपतिक
- ये शैव धर्म की सबसे प्राचीन शाखा है। इन्हें पंचार्थी भी कहते है।
- पशुपतिक संप्रदाय के संस्थापक लकूलिस थे। इसमें शिव के 18 अवतार का वर्णन मिलता है।
- लकुलिस को शिव भगवान के 18 अवतारों में से एक माना जाता है।
- पशुपत संप्रदाय का प्रमुख सैद्धांतिक ग्रंथ पशुपत सूत्र है।
(ii) कापालिक
- ये नर खोपड़ी में भोजन तथा जल ग्रहण करते है। ये मदिरापान करते हैं।
- अस्थि के भस्म को पूरे शरीर में लगाते हैं।
- कापालिक संप्रदाय के इष्टदेव भैरव माने जाते है।
- इस संप्रदाय का मुख्य केन्द्र श्रीशैल नामक स्थान था।
Ex. नागा साधु कापालिक होते हैं।
(iii) लिंगायत
- शैव धर्म की इस शाखा का विकास कर्नाटक में अधिक हुआ।
- इसका प्रारम्भ अल्लभ प्रभु तथा उनके शिष्य वासव ने किया।
- इसमें शिव की उपासना की चलन है।
- ये शिवलिंग की पूजा करते हैं किन्तु शव को जलाते नहीं थे, बल्कि दफनाते थे।
- लिंगायत संप्रदाय दक्षिण भारत में बहुत लोकप्रिय था।
- लिंगायत संप्रदाय को जंगम/विरशिव संप्रदाय भी कहा जाता है।
(iv) कालामुख
- शिव महापुराण में कालामुख संप्रदाय के मतावलंबियों को महाव्रतधर कहकर पुकारा गया है।
- महाव्रत लोग अपने शरीर पर चिता की भस्म लपेटकर रहा करते थे।
- दसवीं शताब्दी में मत्स्येन्द्र नाथ ने नाथ संप्रदाय की स्थापना की।
- इस संप्रदाय का व्यापक प्रचार-प्रसार बाबा गोरखनाथ ने किया।
- राष्ट्रकूटों ने ऐलोरा में स्थित शैवों के कैलाशनाथ मंदिर का निर्माण करवाया था।
- प्रसिद्ध राजराजेश्वर शैव मंदिर तंजौर में स्थित है। इसे वृहत्तेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर का निर्माण चोल शासक राजाराज प्रथम ने करवाया था।
- शिव के महान उपासक कुषाण राजा ने सर्वप्रथम अपने राजमुद्रा पर शिव एवं नंदी का अंकन करवाया था।
वैष्णव धर्म
- भगवत धर्म से ही वैष्णव धर्म का विकास छठी शताब्दी में हुआ था।
- इसमें भगवान विष्णु का अधिक महत्व है। इसकी चर्चा पुराणों तथा उपनिषदों में मिलती है।
- इसकी उपासक को पंचरात्र कहते है।
- विष्णु का उल्लेख सर्वोच्च देवता के रूप में एतरेय ब्राह्मण में किया गया है।
- भगवान विष्णु को अपना ईस्ट देव मानने वाले उपासकों को वैष्णव के रूप में जाना जाता है।
- मत्स्य पुराण में भगवान विष्णु के 10 अवतारों की चर्चा है-
(1) मत्स्य (2) कुर्म (3) वराह (4) नरसिंह (5) वामन (6) परशुराम (7) राम (8) बलराम) (9) बुद्ध (10) कल्कि है। - परशुराम, कृष्ण तथा बौद्ध विष्णु के प्रमुख अवतार थे।
- विष्णु के अवतारों में सर्वाधिक लोकप्रिय वराह अवतार है। जिसका प्रथम उल्लेख ऋग्वेद में है।
- वायु पुराण में कृष्ण सहित वृष्णि वीरों का भी उल्लेख है।
वृष्णि वीर | ||
1. | वासुदेव कृष्ण | देवकी के पुत्र |
2. | संकर्षण | रोहिणी पुत्र |
3. | प्रद्युम्न | रूक्मिणी पुत्र |
4. | अनिरुद्ध | प्रद्युम्न पुत्र |
5. | साम्ब | जाम्बवती पुत्र |
- इस धर्म को अवतारवाद भी कहते हैं। इसे मानने वाले पूर्णतः शाकाहारी होते थे।
- वैष्णव धर्म में ईश्वर प्राप्ती का मार्ग भक्ति बताया गया है।
- भारत में वैष्णव धर्म का केन्द्र तमिल था।
- यूनान के राजदूत मेगास्थनीज ने कृष्ण के लिए हेराक्लीज शब्द का प्रयोग किया था।
- वल्लभाचार्य, चैतन्य महाप्रभू, रामानन्द, कबीर दास, रामानुजाचार्य आदि वैष्णव धर्म के प्रसिद्ध भक्त थे।
- वासुदेव कृष्ण जैन तीर्थंकर अरिष्ठनेमि के समकालीन थे।
- कृष्ण के भक्त इन्हें भगवत कहकर सम्बोधित करते थे। अतः उनके द्वारा स्थापित धर्म को भागवत धर्म कहा गया।
- वैष्णव धर्म का सर्वाधिक विकास गुप्त काल में चन्द्रगुप्त द्वितीय के समय में हुआ। इनके दरवार में नौ विद्वान रहते थे। जिसे नवरत्न कहा जाता था।
- स्कंदगुप्त के जूनागढ़ अभिलेख की शुरूआत भगवान विष्णु के स्तुति से होती है।
- देवगढ़ के दशावतार मंदिर का निर्माण गुप्त काल में भगवान विष्णु के सम्मान किया गया।
- कालांतर में कृष्ण को विष्णु का रूप महाभारत काल में माने जाने के कारण भागवत् धर्म वैष्णव धर्म में परिवर्तित हो गया।
- गुप्तकाल में वैष्णव धर्म का प्रचार-प्रसार जोरो पर था। यहाँ तक कि इण्डोनेशिया, मलाया, कम्बोडिया दक्षिण पूर्व एशिया और हिन्द-चीन जैसे विदेशी स्थलों पर भी इस धर्म का खूब प्रचार-प्रसार हुआ।
- वैष्णव धर्म का विकास दक्षिण भारत में बहुत तेजी से हुआ। दक्षिण भारत में इस धर्म को मानने वाले को अलवर कहा गया। दक्षिण भारत में बारह अरवल संतो को विवरण मिलता है।
- इन सब में तीरूमंगई सर्वाधिक प्रसिद्ध एवं अंडाल एक मात्र महिला संत थी।
प्रमुख सम्प्रदाय, मत व उनके आचार्य | ||
प्रमुख सम्प्रदाय | मत | आचार्य |
वैष्णव सम्प्रदाय | विशिष्टाद्वैत | रामानुज |
ब्रह्म सम्प्रदाय | द्वैता | आनन्दतीर्थ |
रूद्र सम्प्रदाय | शुद्धाद्वैत | वल्लभाचार्य |
सनक सम्प्रदाय | द्वैताद्वैत | निम्बार्क |
यहुदी धर्म
- संस्थापक – मुसा (अब्राह्म)
- हेडक्वाटर – जेरूसेलम
- एकमात्र यहुदियों का देश इजरायल है।
- यह विश्व के प्राचीनतम धर्मों में से एक माना जाता है।
- इसे दुनिया का प्रथम एकेश्वरवादी धर्म माना जाता है।
- इस धर्म की उत्पत्ति स्थान फिलिस्तीन है।
- इसके धार्मिक स्थल को सिनेगार कहते है।
- इसे इब्राह्ममी धर्म भी कहा जाता है।
- प्रमुख धार्मिक पुस्तक – तोरह/ओल्डटेस्टामेंट या मुसा संहिता
ईसाई धर्म
- प्रमुख धार्मिक ग्रंथ – बाइबिल
- प्रमुख धार्मिक पूजा स्थल – चर्च या गिरजाघर
- प्रमुख शिष्य – एड्स और पिटर (मछुआरा)
- जाति – बढ़ई/Carpenter
- इस धर्म के संस्थापक या जनक या पिता ईसा मसिह थे। इनका वेंथलेहम नामक गांव में हुआ था। जो जेरूसेलम में पड़ता है। इनके पिता जोसेफ तथा माता मैरी थी।
- ईसा मसिह को जीसस कहा जाता था।
- मसिहा का शाब्दिक अर्थ परमपिता के पुत्र होता है।
- पूरे विश्व में ईसाई धर्म के मानने वाले की संख्या सबसे अधिक है। इस धर्म की उत्पत्ति फिलिस्तीन में हुई।
- इसका प्रमुख दिन रविवार होता है।
- ईसा मसिह का शिष्य सेंट टॉमस जो भारत के केरल में आकर ईसाई धर्म का प्रचार प्रसार किया था।
- इसाई धर्म के धार्मिक नेता या प्रमुख को पोप या पादरी कहा जाता है।
- पोप के कार्यालय को पापेसी कहा जाता है।
- पोप का निवास स्थल रोम (इटली) में है।
- ईसा मसिह द्वारा चुने गए 12 अनुयायियों को देवदूत माना गया।
- इस धर्म की दो मुख्य शाखाएँ है – कैथोलिक और प्रोटेस्ट।
- इनके मृत्यु तथा पुनर्जन्म को इस्टर के रूप में मनाया जाता है।
- इनके जन्म दिवस को क्रिसमस के रूप में मनाया जाता है तथा मृत्यु पर Good friday मनाया जाता है।
- बाईबिल को दो भागों में बांटा गया है।
(1) ओल्ड टेस्टामेंट – यह यहुदी इतिहास से संबंधित है।
(2) न्यू टेस्टामेंट – इसमें ईसाइयों को धर्म संबंधित विचार है। - इनका प्रतिक चिन्ह क्रॉस है।
- इनको शूली पर चढ़ाने वाला रोमन गवर्नर पोटियस (33 ई०) था।
इस्लाम धर्म
- भारत में इसका प्रवेश अरबों द्वारा 712 ई० में हुआ जो सिंध पर आक्रमण किया था। वहां का शासक राजा दाहिर था। जो मुहम्मद बिन काशिम द्वारा आक्रमण किया गया था और उसी समय से इस धर्म का प्रचार प्रसार हुआ और मजबूती के साथ फैलता गया।
- इस्लाम अरबी भाषा का शब्द है। जिसका शाब्दिक अर्थ अल्लाह को समर्पण होता है।
- इनके धार्मिक स्थान को मस्जिद कहा जाता है।
- इस धर्म के संस्थापक/जनक या पिता पैगम्बर मुहम्मद साहब को माना जाता है।
- इनका जन्म 570 ई० में मक्का में हुआ था।
- इनके पिता का नाम अब्दुल्लाह तथा माता का नाम अमीना था।
- इनकी पत्नी का नाम खदीजा, पुत्री का नाम फातिमा था।
- इनको ज्ञान की प्राप्ति 610 ई० में हीरा नामक गुफा में हुआ था। जो मक्का में स्थित है।
- मक्का से मदीना के यात्रा को ही मुस्लिम संवत् के नाम से जाना जाता है। जो 622 ई० में प्रारंभ हुआ। इसे हिजरी संवत् भी कहते है।
- इनके द्वारा कुराण की शिक्षा का उपदेश दिया गया। जो इस धर्म की सबसे प्रमुख धार्मिक ग्रंथ है।
- इनकी मृत्यु 632 ई० में मदीना में हुई और वही इनको दफना दिया गया।
- मक्का और मदीना दोनों जगह सऊदी अरब में स्थित है।
- अली मुहम्मद साहब के दामाद थे। जो मुहम्मद साहब के उत्तराधिकारी थे। जिनकी हत्या 661 ई० में कर दी गई।
- अली के बेटे हासन हुसैन की हत्या करबला (ईरान) में 680 ई० कर दी गई।
- मुहम्मद साहब के उत्तराधिकारी को खलीफा कहा जाता था।
- खलीफा का पद 1924 तक रहा। खलीफा पद 1925 ई० में तुर्की के शासक मुस्तफा कमाल पासा द्वारा समाप्त कर दिया गया।
- मुहम्मद साहब का जीवन चरित्र इब्द ईशाक द्वारा लिखा गया।
- इनके जन्म दिवस को ईद ए मिलाद उन तवी के नाम से मनाया जाता है।
- इनका प्रमुख दिन शुक्रवार होता है।
- कुराण मूल रूप से अरबी भाषा में लिखा गया था।
- मुहम्मद साहब के मृत्यु के बाद इस्लाम दो भागों में बँट गया सुनी और सिया।
- सुनी मुहम्मद साहब के विश्वास पर आधारित था तथा सिया उनके दामाद अल्ली के शिक्षा पर विश्वास था।
- भारत में मुस्लिम पश्चिम दिशा में पूजा करते है। उसका कारण भारत के पश्चिम में मक्का और मदीना है।
- मक्का की ओर की दिशा को किबला कहा जाता है। जो नमाज पढ़ने के समय पश्चिम दिशा की ओर खड़े होते है।
- हिजरी संवत् के एक रूप में 354 दिन होता है और 12 महीना होता है।
इस धर्म (इस्लाम धर्म) के मानने वालों को 5 अनिवार्य कर्तव्य मानना पड़ता है।
- बकरीद के अवसर पर बकरे की कुर्बानी देना चाहिए।
- प्रतिदिन पाँचों वक्त (फजर, जूहर, असर, मगरीद, ईसा) नमाज पढ़ना चाहिए।
- जरूरतमंदों को दान (जकात) देना चाहिए।
- रमजान के महीने में सूर्योदय के पहले से लेकर सूर्यास्त तक रोजा (उपवास) रखना चाहिए।
- हर मुसलमान को जीवन में कम-से-कम एक बार हज करना चाहिए यानी मक्का स्थित काबा की यात्रा करनी चाहिए।
पारसी धर्म
- पारसी धर्म के पैगम्बर जर थुस्ट्र (ईरानी) थे।
- इनका पवित्र धार्मिक ग्रंथ जेन्दा अवेस्ता है।
- इनके अनुयायी को अग्निपूजक कहा जाता है।
- इनके देवता को अहुर कहा जाता है।
- इनका धार्मिक स्थल अग्निमंदर होता है।
- इनपर अरबों द्वारा आक्रमण करने जबरन मजबूर करके जरथुस्ट्र को इस्लाम धर्म स्वीकार करने पर मजबूर कर दिया और वहां से आदमी भागकर भारत आकर गुजरात में बस गए।
- पारसी धर्म की उत्पत्ति ईरान में हुआ था।
One liner Question :-
- प्राचीन भारत के विश्वोत्पत्ति विषयक धारणाओं अनुसार चार युगों के चक्र का क्रम इस प्रकार हैं। – कृत, त्रेता, द्वापर और कलयुग
- आजीवक, मत्तमयूर, मयमत तथा ईशान शिवगुरु देव पद्धति में से वह जो प्राचीन भारत में शैव संप्रदाय था – मत्तमपूर
- अर्धनारीश्वर मूर्ति में आधा शिव तथा आधा पार्वती प्रतीक है- देव और उसकी शक्ति का योग
- ‘नयनार थे’- शैव धर्मानुयायी
- पोपगई, तिरुज्ञान, पूडम तथा तिरुमंगई में से वह जो अलवार संत नहीं था – तिरुज्ञान
- भागवत संप्रदाय के विकास में सर्वाधिक योगदान दिया था – गुप्त ने
- भागवत धर्म के प्रवर्तक थे-कृष्ण। सर्वप्रथम देवकी के पुत्र कृष्ण का वर्णन मिलता है- छांदोग्य उपनिषद् में
- वासुदेव कृष्ण की पूजा सर्वप्रथम प्रारंभ की- भागवतों ने
- वह देवता जिसे कला में हल लिए प्रदर्शित किया गया है- बलराम
- भागवत संप्रदाय में भक्ति के रूपों की संख्या है – 9 (नवधा भक्ति)
- हेलियोडोरस का बेसनगर अभिलेख संदर्भित है – वासुदेव से
- भागवत धर्म से संबंधित प्राचीनतम अभिलेखीय साक्ष्य है – हेलियोडोरस का बेसनगर अभिलेख
- भागवत धर्म का ज्ञात सर्वप्रथम अभिलेखीय साक्ष्य है – बेसनगर का गरुड़ स्तंभ
- ‘बेसनगर अभिलेख’ का हेलियोडोरस निवासी था – तक्षशिला का
- विष्णु के जिस अवतार को सागर से पृथ्वी का उद्धार करते हुए अंकित किया जाता है, वह है – वाराह
- वैष्णव धर्म के विषय में सर्वप्रथम जानकारी मिलती है – उपनिषदों से
- प्रस्थान त्रयी में सम्मिलित हैं – उपनिषद, ब्रह्मसूत्र एवं भगवदगीता
- वह प्राचीन स्थल जहां 60,000 मुनियों की सभा में संपूर्ण महाभारत कथा का वाचन किया गया था – नैमिषारण्य
- रामायण का वह कांड जिसमें राम और हनुमान की पहली भेंट का वर्णन है – किष्किन्धाकांड
- पुरी में रथयात्र निकाली जाती है – भगवान जगन्नाथ के सम्मान में
- नासिक में कुंभ मेला लगता है – गोदावरी नदी के तट पर
- इस्लाम धर्म के संस्थापक थे – मुहम्मद साहब
- मुहम्मद साहब का जन्म हुआ था – 570 ई. में (मक्का)
- इस्लाम धर्म का पवित्र ग्रन्थ हैं – कुरान
- ईसाई धर्म के संस्थापक थे – ईसा मसीह
- ईसाई धर्म का प्रमुख ग्रन्थ है – बाइबिल
- विभिन्न धर्मों के प्रमुख स्थल :-
- 1. जैन धर्म – पवित्र स्थल पावापुरी
- 2. हिन्दू धर्म – वाराणसी
- 3. इस्लाम धर्म – मदीना
- 4. ईसाई धर्म – वेटिकन
यदि आप और अधिक अध्ययन सामग्री प्राप्त करना चाहते हैं तो कृपया हमारे टेलीग्राम चैनल से जुड़ें।