GK: शैव धर्म

यंहा पर शैव धर्म से संबंधित बहत्वपूर्ण GK है जो प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए महत्वपूर्ण है ।

शैव धर्म GK

  • भगवान शिव को ईष्ट देव मानने वाले शैव कहलाये और इनका धर्म – शैव धर्म है।
  • इसमें भगवान शिव की उपासना की जाती थी। शिवलिंग तथा पहला साक्ष्य सिंधु सभ्यता में मिला है। किन्तु यह प्रमाणिक नहीं है।
  • शिवलिंग को पहला प्रमाणिक साक्ष्य मत्स्य पुराण में मिलता है।
  • शैव धर्म को मानने वाले दक्षिण भारत में अधिक है।
  • शैव धर्म को मानने वाले लोकप्रिय वंश – पल्लव वंश, चोल वंश, राष्ट्रकूट वंश तथा चालूक्य वंश थे।
  • गुप्तकाल में शैव धर्म अपने चर्मोत्कर्ष पर थे।
  • शैव धर्म में परमात्मा, जिवात्मा और बंधन के परिकल्पना की गई है।
  • नयनारों ने पल्लव काल में शैव धर्म का प्रचार किया था।
  • शैव सिद्धांत के चार पद – विद्या, योग, कर्म और चर्चा।
  • शैव सिद्धांत के तीन पदार्थ – पशु, पाश और पति।
  • शुद्ध संप्रदाय के संस्थापक श्रीकांताचार्य थे।
  • शैव धर्म का प्रमाण
    • (1) प्रारंभिक प्रमाण – हड़प्पा सस्कृति
    • (2) ऋग्वेद में शिव का उल्लेख रुद्र के रूप में मिलता है।
    • (3) अथर्ववेद में शिव को भव, शर्व, पशुपति एवं भूपति कहा गया।
    • (4) मत्स्य पुराण में लिंग पूजा का पहला स्पष्ट वर्णन है।
    • (5) तैतरेय अरण्यक में रूद्र की पत्नी पार्वती को (पद्मा, उमा, गौरी एवं भैरवी) कहा गया।
  • मेगास्थनीज ने अपनी यात्रा वृत्तांत में डायनोसिस नाम से शिव का उल्लेख करते हुए भारत में शिव पूजा का विवरण दिया है।
  • वामन पुराण के अनुसार शैव धर्म को मुख्यतः 4 भागों में बांटते हैं-
    • (i) पशुपतिक – ये शैव धर्म की सबसे प्राचीन शाखा है। इन्हें पंचार्थी भी कहते है।
      • पशुपतिक संप्रदाय के संस्थापक लकूलिस थे। इसमें शिव के 18 अवतार का वर्णन मिलता है।
      • लकुलिस को शिव भगवान के 18 अवतारों में से एक माना जाता है।
      • पशुपत संप्रदाय का प्रमुख सैद्धांतिक ग्रंथ पशुपत सूत्र है।
    • (ii) कापालिक – ये नर खोपड़ी में भोजन तथा जल ग्रहण करते है। ये मदिरापान करते हैं।
      • अस्थि के भस्म को पूरे शरीर में लगाते हैं।
      • कापालिक संप्रदाय के इष्टदेव भैरव माने जाते है।
      • इस संप्रदाय का मुख्य केन्द्र श्रीशैल नामक स्थान था।
      • Ex. नागा साधु कापालिक होते हैं।
    • (iii) लिंगायत – शैव धर्म की इस शाखा का विकास कर्नाटक में अधिक हुआ।
      • इसका प्रारम्भ अल्लभ प्रभु तथा उनके शिष्य वासव ने किया।
      • इसमें शिव की उपासना की चलन है।
      • ये शिवलिंग की पूजा करते हैं किन्तु शव को जलाते नहीं थे, बल्कि दफनाते थे।
      • लिंगायत संप्रदाय दक्षिण भारत में बहुत लोकप्रिय था।
      • लिंगायत संप्रदाय को जंगम/विरशिव संप्रदाय भी कहा जाता है।
    • (iv) कालामुख – शिव महापुराण में कालामुख संप्रदाय के मतावलंबियों को महाव्रतधर कहकर पुकारा गया है।
      • महाव्रत लोग अपने शरीर पर चिता की भस्म लपेटकर रहा करते थे।
      • दसवीं शताब्दी में मत्स्येन्द्र नाथ ने नाथ संप्रदाय की स्थापना की।
      • इस संप्रदाय का व्यापक प्रचार-प्रसार बाबा गोरखनाथ ने किया।
      • राष्ट्रकूटों ने ऐलोरा में स्थित शैवों के कैलाशनाथ मंदिर का निर्माण करवाया था।
      • प्रसिद्ध राजराजेश्वर शैव मंदिर तंजौर में स्थित है। इसे वृहत्तेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर का निर्माण चोल शासक राजाराज प्रथम ने करवाया था।
      • शिव के महान उपासक कुषाण राजा ने सर्वप्रथम अपने राजमुद्रा पर शिव एवं नंदी का अंकन करवाया था।
  • शैव धर्म में पाशुपत मत के प्रवर्तक लकुलीश थे।

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